आजकल कभी-कभी आपके दिमाग में कभी ख्याल आता होगा कि Purane jamane me log bal kaise katate the? यह सवाल पूछना स्वाभाविक है, और ऐसे सवालों का जवाब देना हमारा काम है, तो चलिए इस टॉपिक पर एक नज़र डालते हैं।
ऐसा मानने में आ रहा है कि बाल-दाढ़ी का इतिहास मानव इतिहास जितना ही प्राचीन है जो पाषाण युग से चला आ रहा है। प्राचीन समय में लोगों का यह इरादा नहीं था कि उनकी पूरी दाढ़ी साफ हो। उनका एकमात्र उद्देश्य दाढ़ी के बालों को इतना छोटा करना था कि इसमें पसीना न आए। 10,000 साल पहले पाषाण युग में दाढ़ी बनाने औज़ारो के साक्ष्य मिले हैं। उस समय चकमक पथ्थर और मरे हुए शार्क के दांतों को रगड़ रगड़ कर इतना तेज बनाया जाता था की इसका इस्तेमाल दाढ़ी और शरीर के अन्य हिस्सों के बालों को काटने के लिए किया जा सके। आज भी कुछ आदिवासी जातियां ऐसे तीखे पत्थरों का इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा उस समय एक चिपिया के रूप में 2 समुद्री सीपीयो को जोड़कर अनचाहे बालों को हटाने का तरीका बहुत लोकप्रिय था।
फिर जब सभ्यता आगे बढ़ी और मनुष्य ने कांस्य युग में प्रवेश किया। उस समय मनुष्य ने तांबे और कांस्य जैसी धातुओं की खोज कर ली थी। इन धातु से बने हथियार पत्थरों की तुलना में अधिक मजबूत थे। इन सभी उपकरणों का उपयोग मिस्र की सभ्यता(egyptian civilization) में भी किया गया है। उस समय लोगों को मरने के बाद औज़ार उनके साथ दफन कर दिए जाते थे। सभ्यता ओर विकसित हुई जोकि वो आधुनिक उपकरणों की शुरुआत थी। इस समय साबुन का भी आविष्कार किया गया था और नाइ की दुकानें भी धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही थीं। लेकिन क्लीन शेव(clean shave) के हथियार अभी तक अस्तित्व में नहीं आए थे।
17वीं शताब्दी आते आते मानव ओर आधुनिक और विकसित हुवा ओर आधुनिक उपकरण भी बन गए थे जिसका श्रेय इंग्लैंड को जाता है। उस समय इंग्लैंड का सभी देशों में वर्चस्व था इसलिए इन हथियारों को दुनिया के सभी देशों तक पहुँचते हुए ज्यादा समय नहीं लगा। 1740 तक ऐसे उपकरण स्टील से बने भी बनने लगे थे। लेकिन इन उपकरणो में आधुनिक रेजर की तरह ब्लेड को बदल नहीं जा सकता था। इन हथियार का इस्तेमाल करते समय एक छोटी सी गलती के कारण चेहरे पर कट(cut) लगने का भी डर था। और रेजर के किनारे को भी बार-बार पर तेज करना पड़ता था जो एक बड़ी समस्या भी थी।
King Camp Gillette इस समस्या का हल निकलने के लिए आगे आए और 1895 में दुनिया का पहला सेफ्टी रेजर(safety razor) ब्लेड बनाया। यानी बार बार किनारे को तेज करने के बजाय किनारे को ही बदल दो। और 1904 में इसे पेटेंट भी किया गया। फिर कंपनी इतनी प्रसिद्ध हो गई कि इनके उपकरण घर पर उपलब्ध हो गए। इस कंपनी की खास बात यह थी कि यह ब्लेड और रेसर डिजाइन को अनुकूल समय के साथ साथ बदलती रहती थी और समय के साथ तालमेल बनाए रखती थी। फिर साल 1930 आते आते इलेक्ट्रिक ट्रिमर मशीन भी आ गयी। और फिर क्लीन शेव(clean shave), क्विक शेव(quick shave), सेफ शेव(safe shave) सभी समस्याओं का समय के साथ हल किया गया।
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