Chandrama se dhumketu takra jaye to kya hoga यह सवाल आपके दिमाग में कभी ना कभी आया होगा। तो चलिए आज इसी कल्पना के सफर में चलते है।
अंतरिक्ष में कई प्रकार के ग्रह, उपग्रह, उल्का आदि सूर्य या किसी ग्रह की परिक्रमा करते हैं। इनमें से एक धूमकेतु है, जो आमतौर पर सूर्य की परिक्रमा करता है। धूमकेतु जमे हुए बर्फ, गैसों और धूल के मिश्रण से बने होते हैं। सबसे प्रसिद्ध धूमकेतुओं में से एक को ‘हेली की धूमकेतु’ के नाम से जाना जाता है।
हेली का धूमकेतु 15 किमी × 8 किमी कद का है, यह आकाशीय बर्फ का गोला पृथ्वी से हर 76 साल में दिखाई देता है और 16,000 वर्षों से लगातार सूर्य की परिक्रमा कर रहा है। इसके मार्ग में अभी तक बदलाव नहीं आया है लेकिन कल्पना करते हैं कि क्या हो अगर धूमकेतु का मार्ग बदलता है और यह हमारे उपग्रह चंद्रमा से टकराता है?
यह घटना चंद्रमा को कितना नुकसान पहुंचाएगी? इससे पृथ्वी को क्या नुकसान होगा?
यदि किसी कारण से धूमकेतु का मार्ग बदल जाता है और वह चंद्रमा से टकराता है, तो कुछ हद तक यह घटना 2013 में चंद्रमा से टकराने वाले एस्टेरोइड(लघुग्रह) के समान होगी। इस घटना में, आठ सेकंड के लिए चंद्रमा पर एक बड़ी रोशनी बिछा दी थी । और चंद्रमा की सतह पर 131 फीट (40 मीटर) गहरा गढ्ढा(छेड़) खोद दिया था। लेकिन हमारे मामले में, हेली का धूमकेतु 2013 के लघुग्रह की तुलना में 550 बिलियन गुना बड़ा है।
हमारी घटना में धूमकेतु के टकराने से न केवल चंद्रमा पर छेद होगा, बल्कि यह चंद्रमा की सतह को दो भागों में अलग कर देगा। पृथ्वी से चांद के ये हिस्से बहुत खूबसूरत दिखेंगे लेकिन साथ ही साथ उतने ही भयानक होंगे।
चंद्रमा पर यह घटना बहुत ही आतंकी होगी। मैग्मा चंद्रमा के मुख्य भाग से बाहर आ जाएगा, अंतरिक्ष में धूल और पत्थरों का एक बड़ा हिस्सा बंदूक की गोली की तरह निकल रहा होगा अंतरिक्ष में फैल जाएगा।
कण, चट्टानें और हानिकारक मैग्मा चंद्रमा के चारों ओर तैरते रहेंगे, धूमकेतु की टक्कर अंतरिक्ष में इसके भारी हिस्सों को फैलेंगी और तीव्र गति से आगे बढ़ेगी। कुछ कण ओर चट्टाने अंतरिक्ष और कुछ हमारी पृथ्वी की ओर बढ़ेंगे, वो हमारे ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होगा।
लेकिन उम्मीद है कि पृथ्वी के लोगों के पास इस घटना की तैयारी के लिए पर्याप्त समय होगा। क्योंकि इस समय, ऊपर से पत्थरों की अचानक बारिश होने पर लोगों को रसातल (पृथ्वी की सतह के अंदर) में शरण लेनी होगी। मनुष्य को विशाल भूमिगत गुफाओं और पृथ्वी की सतह के नीचे छिपना पड़ता है।
चेल्याबिंस्क एक उल्का है जो बोहोत प्रकाश के साथ पृथ्वी के वातावरण में 15 फरवरी, 2013 को रूस के ऊपर दक्षिणी उराल क्षेत्र में गिर गया था। इस उल्कापिंड से निकलने वाली रोशनी 100 किमी दूर से दिखाई दी थी जो सूरज से भी तेज थी। कुछ गवाहों ने आग के गोले से भीषण गर्मी का अनुभव किया। यह घटना और पड़ोसी देशों के कुछ विस्तृत क्षेत्र पर देखा गया था। घटना ने रूस में 1,000 से अधिक लोगों को घायल कर दिया।
चाँद से गिरने वाले पत्थरों का चेल्याबिंस्क के समान प्रभाव हो सकता है, जो पूरे शहरों को नष्ट कर सकता है। लेकिन कुछ स्थानों पर केवल मध्यम क्षति होगी, जबकि अन्य स्थल पूरी तबाही का सामना करेंगे।
जबकि अंतरिक्ष में प्रक्षेपित मानव निर्मित उपग्रह भी नष्ट हो जायेंगे, इस उपग्रह द्वारा किए गए कोई भी कार्य बंद हो जाएगा। इसके अलावा, चंद्रमा की अनुपस्थिति पृथ्वी की भ्रमणकक्षा में अंतर ला सकता है। दिन और रात छोटी हो जाएगी और इसके लिए पृथ्वी के सभी कैलेंडर को फिर से बनाने की आवश्यकता हो सकती है।
कुछ समय बाद पृथ्वी पर स्थिति सामान्य हो जाएगी, फिर जब कोई मानव अंतरिक्ष में जाएगा और पृथ्वी के दृश्य को देखेगा तो वह बहुत खूबसूरत होगा चंद्रमा से सभी धूल और मलबे से पृथ्वी पर शनि ग्रह की तरह एक सुंदर अंगूठी जैसी रिंग बन जाएगी, लेकिन बहुत कम मनुष्य होंगे जो इतनी सारी दहेशत के बाद इस घटना को देख सकेंगे।
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